दिनांक 11/01/2025 अब रक्षा सम्पदा की इस 160 एकड़ भूमि पर भी वीडीए से पास कराना होगा नक्शा
वाराणसी विकास प्राधिकरण, वाराणसी
प्रेस विज्ञप्ति
अब रक्षा सम्पदा की इस 160 एकड़ भूमि पर भी वीडीए से पास कराना होगा नक्शा
वाराणसी विकास प्राधिकरण ने रक्षा सम्पदा की कैंटोनमेंट एवं लक्षिपुरा स्थित उस 160 एकड़ जमीन पर नियोजित विकास के लिए बड़ा निर्णय लिया है जो प्रबंधन के लिए नगर निगम के अधीन है। नगर निगम को 1894 में हस्तांतरित 160 एकड़ भूमि के प्रबंधन को लेकर उत्पन्न विवाद के समाधान के लिए आयुक्त, वाराणसी मंडल की अध्यक्षता में आयोजित बैठक के कार्यवृत्त और निर्णयों का अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। यह भूमि "इंट्रा म्युनिसिपल नजूल" श्रेणी में आती है और इसके प्रबंधन पर नगर निगम अधिनियम, 1959 एवं उत्तर प्रदेश नगर नियोजन एवं विकास अधिनियम, 1973 के प्रावधान लागू होते हैं। नगर निगम के मुख्य राजस्व अधिकारी के पत्रांक-5917/सात-भू0सु0-2020 दिनांक 13 मार्च, 2020 के अनुसार, भूमि के प्रबंधन और अतिक्रमण संबंधी विवादों का निस्तारण संबंधित अधिनियमों के तहत ही किया जाएगा।
विधिक स्थिति और प्रबंधन के तहत
स्थायी अधिवक्ता ने बैठक में स्पष्ट किया था कि यह भूमि वर्तमान में नगर निगम, वाराणसी के प्रबंधन में है। जब तक रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार, इसे छावनी परिषद, वाराणसी के स्वामित्व या प्रबंधन के तहत अधिसूचित नहीं करता, तब तक यह भूमि नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में ही रहेगी। इसके तहत वाराणसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष श्री पुलकित गर्ग ने आदेश जारी किया है कि रक्षा सम्पदा की इस 160 एकड़ भूमि पर किसी भी प्रकार के अवैध निर्माण, अतिक्रमण, या मानचित्र स्वीकृतियों पर नगर निगम अधिनियम और नगर नियोजन एवं विकास अधिनियम 1973 के प्रावधान लागू होंगे। मानचित्र स्वीकृत करने से पहले भू-स्वामी रक्षा मंत्रालय और नगर निगम से अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) अनिवार्य होगा।
अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश
आयुक्त वाराणसी मंडल की अध्यक्षता में लिए गए निर्णयों का सख्ती से अनुपालन करने के लिए वाराणसी विकास प्राधिकरण और नगर निगम को निर्देश दिए गए हैं। इन निर्णयों में अवैध निर्माण हटाने और प्रबंधन संबंधी अन्य कदम उठाने की पूरी स्वायत्तता दी गई है। समिति ने स्पष्ट किया है कि नगर निगम, वाराणसी और वाराणसी विकास प्राधिकरण के पास संबंधित भूमि पर सभी विधिक कार्रवाई करने का अधिकार है। इन निर्देशों को लागू करने के लिए उपाध्यक्ष, वाराणसी विकास प्राधिकरण द्वारा आदेश निर्गत किया गया है। बैठक के निर्णय और विधिक प्रावधानों के आधार पर, यह स्पष्ट है कि 160 एकड़ भूमि के प्रबंधन और अतिक्रमण हटाने के लिए नगर निगम और वाराणसी विकास प्राधिकरण प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे। समिति ने इस दिशा में सख्त अनुपालन के आदेश जारी किए हैं।
बैठक में लिए गए निर्णय
1. 1894 में जिन शर्तों पर भूमि हस्तांतरित की गई थी, उसका उल्लेख 1898 में जारी पत्रांक-6170 में किया गया है। यह भूमि "इंट्रा म्युनिसिपल नजूल" मानी जाएगी और म्युनिसिपल मैनुअल के प्रावधानों के तहत शासित होगी।
2. यह भी पुष्टि हुई कि यह भूमि नगर निगम, वाराणसी के क्षेत्राधिकार में है और नगर निगम अधिनियम, 1959 एवं उत्तर प्रदेश नगर नियोजन एवं विकास अधिनियम, 1973 के अनुसार प्रबंधन योग्य है।
3. नगर निगम और वाराणसी विकास प्राधिकरण के पास अवैध निर्माणों को हटाने या नियंत्रित करने का पूरा अधिकार है।