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वाराणसी महायोजना - 2031

परिचय :-

वाराणसी नगर 250 18' उत्तरी अक्षांश तथा 830 1' देशांतर पर गंगा नदी के किनारे स्थित है. यह नगर मंडल मुख्यालय होने के साथ-साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रमुख नगरों में से एक है, जो दिल्ली-कोलकाता राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-२ पर लगभग मध्य में स्थित है. वाराणसी नगर से नई दिल्ली एवं कोलकाता क्रमशः 779 एवं 762 कि०मी० की दूरी पर स्थित है, राष्ट्रीय राजमार्ग-56 पर जौनपुर से 58 कि०मी० व लखनऊ से 300 कि०मी०, राष्ट्रीय राजमार्ग-7 पर चुनार से 45 कि०मी० व मिर्जापुर से 78 कि०मी० (जो मिर्जापुर होते हुए रीवा को जाती है) राष्ट्रीय राजमार्ग-29 पर गाजीपुर से 80 कि०मी० (जो मऊ होते हुए गोरखपुर को जाती है) की दुरी पर स्थित है.

वाराणसी महायोजना की पृष्ठभूमि :-

वाराणसी की प्रथम महायोजना की अधिसूचना संख्या- 1449/11-बी 44 आई०टी०/49 दिनांक 03 अक्टूबर, 1950 द्वारा नगर इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट की सीमा के लिए सर्वप्रथम मि० डडले ट्रगेट द्वारा 1948 में बनायी गई थी. पुनः अधिसूचना संख्या- 2 पी० 37-50 एच/57 दिनांक 10.12.1958 द्वारा वाराणसी विनियमित क्षेत्र की घोषणा की गयी तथा वर्ष 1964 में उत्तर प्रदेश शासन के शासनादेश संख्या- एच0/37/46 टी०पी० 63 दिनांक 24.02.1964 द्वारा नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग के वाराणसी सर्वेक्षण खंड को वाराणसी की नवीनतम महायोजना बनाने का कार्य सौपा गया. सभी आवश्यक औपचारिकताओ की पूर्ति एवं अध्ययन के पश्चात् उत्तर प्रदेश (निर्माण कार्य विनियमन) 1958 के अधीन विभिन्न प्रक्रियाओं को पूर्ण करते हुए वाराणसी महायोजना तैयार की गयी. नियंत्रक प्राधिकारी, वाराणसी विनियमित क्षेत्र द्वारा नगर महापालिका अधिनियम-1959 के अधीन वर्ष 1969 में प्रकाशित कराया गया. महायोजना पर प्राप्त आपत्तियों/सुझावों की सुनवाई के पश्चात् "आपत्ति सुनवाई समिति" द्वारा दी गयी संस्तुति के आधार पर महायोजना में आवश्यक संशोधनोपरांत वाराणसी महायोजना-1991 को उत्तर प्रदेश सरकार के शासनादेश संख्या- 2019/37-3-38 ए०के०वी० 68 दिनांक 01.10.1973 द्वारा स्वीकृति प्रदान की गयी. वाराणसी विकास प्राधिकरण के गठन के साथ-साथ शासकीय अधिसूचना संख्या- 3779/37-2-4 डी०ए०/72 दिनांक 19 अगस्त, 1974 के द्वारा वाराणसी विकास क्षेत्र की स्थापना की गयी. वाराणसी विकास क्षेत्र का कुल क्षेत्रफल लगभग 793 वर्ग कि०मी० था, जिसमें वाराणसी नगर समूह, मुगलसराय रेलवे नोटिफाईड एरिया तथा नगर पालिका एरिया एवं 608 ग्राम सम्मिलित थे. सम्पूर्ण विकास क्षेत्र गंगा नदी द्वारा दो भागो में विभक्त होता है प्रथम भाग जिसे भाग-अ कहा गया है, गंगा नदी के बाएं तट पर नदी के पश्चिमोत्तर दिशा में स्थित है इस क्षेत्र में वाराणसी नगर महापालिका, काशी हिन्दू विश्वविद्द्यालय, मड़ुआडीह रेलवे सेटलमेंट, छावनी क्षेत्र तथा तहसील वाराणसी के 463 गाँव आते है. विकास क्षेत्र के द्वितीय भाग जिसे भाग-ब कहा गया है गंगा नदी के दायें और दक्षिण-पूर्व में स्थित है. इस क्षेत्र के अंतर्गत रामनगर नगर पालिका, मुगलसराय नगर पालिका, मुगलसराय नोटिफाईड एरिया तथा जनपद- चंदौली एवं तहसील- चुनार, जिला- मिर्जापुर तथा तहसील- वाराणसी, जनपद- वाराणसी के 145 ग्राम आते है. प्राधिकरण ने अपनी बैठक दिनांक 16.12.1974 के संकल्प संख्या-3 के अनुसार शासन से पूर्व में स्वीकृत महायोजना को अंगीकृत किया गया, जिसके आधार पर वाराणसी विकास प्राधिकरण द्वारा विकास नियंत्रण का कार्य वर्ष 1974 से शुरू किया गया.

वाराणसी महायोजना-1991 की विसंगतियों को दूर करने के उद्देश्य से वाराणसी विकास प्राधिकरण ने अपनी बैठक दिनांक 30.05.1982 के मद संख्या-36 में महायोजना को नया रूप देने का निर्णय लिया. नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग, उ०प्र० द्वारा तैयार वाराणसी महायोजना-2011 विभिन्न प्रक्रियाओ को पूर्ण करते हुए शासन की स्वीकृति हेतु प्रेषित किया गया. जिसे शासन ने अपने शासनादेश संख्या 2915/9-आ-3-2001-10 महा/99, दिनांक 10 जुलाई, 2001 द्वारा स्वीकृति प्रदान कर दी, जो 13 जुलाई, 2001 से प्रभावी है.

महायोजना तैयार करने की आवश्यकता:-

वाराणसी महायोजना-2011 के प्रभावी होने के उपरांत से अब तक शासन द्वारा कई भू-उपयोग परिवर्तन किये गए, जिससे लगभग 146 हेक्टेयर क्षेत्रफल में महायोजना के प्रस्तावित भू-उपयोग प्रभावित हुए. महायोजना में प्रस्तावित भू-उपयोग के विपरीत लगभग 969.50 हेक्टेयर क्षेत्र अनधिकृत रूप से विकसित हुआ. वाराणसी नगर हेतु तैयार की गयी वाराणसी महायोजना-2011 में दिए गए प्रस्तावों के प्रतिकूल हुए विकास एवं विसंगतियों को दूर करने के उद्देश्य तथा प्रभावी महायोजना की अवधि 10 जुलाई, 2011 तक है एवं नई महायोजना बनाने में लगने वाले समय को दृष्टिगत रखते हुए वाराणसी विकास प्राधिकरण ने अपनी बैठक दिनांक 27.05.2009 के मद संख्या-17 में वाराणसी विकास क्षेत्र (रामनगर-मुगलसराय सहित) की नई महायोजना-2031 तैयार करने का निर्णय लिया गया.

महायोजना बनाने का उद्देश्य:-

वाराणसी नगर की नगरीय सीमा के अंतर्गत विभिन्न भू-उपयोगों के लिए पर्याप्त भूमि के क्षेत्रफल को निर्धारित कर विभिन्न भू-उपयोग के क्रियात्मक सम्बन्धो के आधार पर नगर के भवी भौतिक विकास के स्वरूप के अनुसार नगर में विभिन्न भू-उपयोग के युक्तिसंगत प्रस्ताव करना.

वर्तमान में हो रहे अनियोजित निर्माणों को नियोजित कर भावी विकास हेतु एक सुनियोजित दिशा प्रदान करना.

प्राचीन नगर के सघन जनसंख्या घनत्व एवं केन्द्रित व्यवसायिक क्रियाओं के विकेंद्रीकरण हेतु विभिन्न चरणों में प्रस्ताव का निरूपण.

विभिन्न प्रकार के वाणिज्यिक क्रियाकलापों एवं उनकी सहायक क्रियाओं को सुनिश्चित वर्गीकरण के अनुसार एक नियोजित भौतिक स्वरूप देना.

नगर के संतुलित विकास हेतु विभिन्न आय वर्गों के लिए भावी आवासीय व विभिन्न क्षेत्र के सामुदायिक सुविधाओं, उपयोगिताओं व सेवाओं का प्राविधान करना.

नगर के यातायात एवं परिवहन को सुगम व सुचारू व्यवस्था के प्राविधान के साथ औद्योगिक एवं व्यावसायिक क्षेत्रों का इस प्रकार प्रावधान करना, जिससे कि नगर सामाजिक, आर्थिक ढाचें के अंतर्गत इन क्षेत्रों का आपस में सम्बन्ध बना रहे.

वाराणसी विकास प्राधिकरण हेतु नगर के भावी विकास के लिए मार्गदर्शन करना तथा निजी शासकीय/अर्द्धशासकीय संस्थानों के विकास-कार्यक्रमों का समुचित दिशा निर्दिष्ट करना.

नगर के ऐतिहासिक स्वरूप को बनाये रखने के उद्देश्य से यहाँ के धार्मिक एवं सांस्कृतिक, कलात्मक तथा ऐतिहासिक स्मारकों के संरक्षण सम्बन्धी योजना एवं नीतियों का निर्धारण.

नगर के वर्तमान तथा भावी विकासशील क्षेत्रों में उपयुक्त मार्गों का प्राविधान करना.

नगर तथा नगर के संलग्न वाह्य क्षेत्रो में होने वाले अनियोजित एवं अनियंत्रित विकास को रोकना तथा भावी सुनियोजित विकास हेतु दिशा प्रदान करना.

वाराणसी महायोजना-2011 का मूल्यांकन:-

वाराणसी महायोजना वर्ष-2011 नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा तैयार की गयी थी जो कि शासनादेश संख्या- 2915/9-आ-3-2001-10 महा०/99 दिनांक 10 जुलाई, 2001 द्वारा स्वीकृति प्रदान की गयी. उक्त महायोजना के अनुसार वर्ष- 2001, 2011 के लिए नगर की जनसँख्या क्रमशः 12,74000, 1621000 अनुमानित की गयी थी.

वास्तविक विकास का मूल्यांकन:-

वाराणसी महायोजना वर्ष-2011 तक की अवधि के लिए बनाई गयी थी. महायोजना में 16,21000 जनसँख्या हेतु 18449.95 हेक्टेयर भूमि का प्रस्ताव किया गया था. वर्ष-2010 तक कुल 9614.22 हेक्टेयर भूमि का विकास हुआ जो प्रस्तावित क्षेत्रफल का 52.11% है. वर्ष-2010 तक 8644.72 हेक्टेयर भूमि का वास्तविक अनुकूल विकास हुआ जो प्रस्तावित भू-प्रयोग का 46.86% तथा 969.50 हेक्टेयर भूमि का विकास प्रस्तावित भू-प्रयोग के प्रतिकूल हुआ है, जो प्रस्तावित भू-प्रयोग का 5.25% है. वाराणसी महायोजना-2011 में प्रस्तावित विभिन्न भू-उपयोगों में हुए अनुकूल एवं प्रतिकूल विकास को तालिका संख्या-1 में स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है.