आज दिनांक 21.01.2025 को ए.एस.आई में प्राप्त होने वाले एनओसी के सम्बन्ध में समीक्षा बैठक

वाराणसी विकास प्राधिकरण, वाराणसी

 

प्रेस-विज्ञप्ति

 

ए.एस.आई में प्राप्त होने वाले एनओसी  के सम्बन्ध में समीक्षा बैठक  

आज दिनांक 21.01.2025 को  वाराणसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग की अध्यक्षता में ए.एस.आई में प्राप्त होने वाले एनओसी (अनापत्ति प्रमाण-पत्र) के सम्बन्ध में समीक्षा बैठक की गई। इसमें सारनाथ समेत आसपास के प्राचीन बौद्ध स्थलों, संरक्षित स्मारकों व पुरातत्व स्थलों से जुड़े विनियमित क्षेत्रों में नियोजित विकास को लेकर चर्चा की गई। नगर नियोजक प्रभात कुमार ने एनओसी से सम्बंधित प्रमुख बिंदुओं को रखा। इसमें एनएमए (राष्ट्रीय संस्मारक प्राधिकरण) द्वारा जारी गाइडलाइंस पर मंथन करते हुए ऐसे प्रतिबंधित इलाके में नियोजित विकास के लिए नियमों के तहत कई दिशा-निर्देश दिए गए। बैठक का उदेश्य रहा कि सम्बंधित क्षेत्र में नियोजित विकास के लिए आवेदकों को सहूलियत मिल सके। नगर नियोजक ने अवगत कराया कि पिछले वर्ष कुल 63 लोगों ने एनओसी के लिए आवेदन किया था जिसमें 57 लोगों को एनओसी दी गई। उल्लेखनीय है कि हेरिटेज जोन के 100 मीटर के अंदर किसी भी प्रकार की अनुमति नहीं दी जाती। स्पष्ट कर दें कि पुरातत्व विभाग ने संरक्षित स्मारकों और उनके आसपास के क्षेत्रों में निर्माण पर प्रतिबंध लगाया है। यह सुनिश्चित करने के लिए सभी कार्य विभागीय अनुमोदन और डिजाइन के तहत ही किए जाएंगे।

 

बैठक के दौरान  प्रोग्रामर दिनेश सिंह, जोनल अधिकारी  शिवाजी मिश्रा, पीयूष श्रीवास्तव व शिवांगी सिंह समेत अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

 

प्रमुख स्मारक

सारनाथ का प्राचीन बौद्ध स्थल समेत अन्य कई क्षेत्र अपने ऐतिहासिक महत्व और संरक्षित स्मारकों के लिए जाना जाता है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

 

1-धमेख स्तूफ

 

2-जगत सिंह का स्तूफ

 

3-मेजर किट्टो का मठ

 

4-904-05 में श्री ओरताल द्वारा खुदाई किए गए स्मारक

 

अन्य संरक्षित स्थलों की सूची

चौखंडी स्तूप: यह प्राचीन बौद्ध स्थल वाराणसी के बरईपुर और गंज क्षेत्र में स्थित है।

 

लाल खान का मकबरा (राजघाट): यह ऐतिहासिक स्थल 1912 में संरक्षित घोषित किया गया।

 

चंद्रवती किला अवशेष: गंगा के बाएं किनारे पर स्थित इस विशाल ईंट किले के अवशेष 1920 में संरक्षित घोषित किए गए।

 

मान सिंह वेधशाला: यह ऐतिहासिक स्थल वाराणसी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

 

पहलादपुर मोनोलिथ स्तंभ: यह स्तंभ सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर में स्थित है।

 

शिवाला में यूरोपीय अधिकारियों की कब्र: यह स्थल अस्सीघाट रोड पर स्थित है।

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